google1b86b3abb3c98565.html

national special news

चर्चा में है खुरपी नेचर विलेज

युवा सिद्धार्थ राय ने खुद के साथ बदल दी आसापास के लोगों की जिंदगी

कटनीसिटी.कॉम

ग्लोबल विलेज में कुछ खास व्यावसाय और हुनर कुछ अलग अंदाज में विकसित हो रहे हैं।   लाखों युवा इस तरह के सपने देखते हैं। कुछ युवा इन्हें पूरा कर लेते हैं। खुरपी नेचर विलेज एेसा ही एक गांव हैं जो उन पढ़े लिखे लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपने गांव में फिर लौटकर अपने सपनों को कुछ अलग अंदाज में जीन चाहते हैं। इस सपने को पूरा किया है उत्तर प्रदेश के युवा सिद्धार्थ राय ने।उनके प्रयासों के कारण इन दिनों खुरपी नेचर विलेज चर्चा में है।इसके पीछे एक युवा की मेहनत है। इस युवक का नाम है। सिद्धार्थ राय।

सिद्धार्थ राय ने  गांव में जाकर स्वरोजगार के लिए काम किया। इसे डेढ़ एकड़ के परिसर में सिद्धार्थ द्वारा तैयार किया गया। इससे पहले दिल्ली और बैंगलोर जैसे बड़े शहर से उच्च शिक्षा प्राप्त सिद्धार्थ राय अच्छे पैकेज पर जॉब कर रहे थे। लेकिन वर्ष 2014 में चुनाव के दौरान गाजीपुर आ गए। चुनाव बाद तत्कालीन रेल राज्य मंत्री व संचार मंत्री मनोज सिन्हा के निजी सचिव बन गए। युवा सिद्धार्थ राय ने  गाजीपुर वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग से लगभग 5 किलोमीटर दूर अगस्ता गांव के पास खेतों के बीच में अपने मित्र अभिषेक की मदद से लगभग डेढ़ एकड़ जमीन में गाय पालन का शुरू शुरूआत किया।  इससे उन्होंने दुग्ध व्यवसाय का छोटा सा कार्य शुरू किया। धीरे-धीरे अगल बगल के गांव वालों को गाय और भैंस के लिए आर्थिक मदद उपलब्ध कर उनसे भी दूध लेने का कार्य शुरू कर दिया।    इसके बाद मुर्गी पालन का काम शुरू हुआ। मुगीर् पालन का कार्य शुरू किया और इतना ही नहीं गायों के गोबर को ही वह मुर्गियों के सामने परोस देते थे। जिनमें से दाना चुन-चुन कर मुगीर् हजम कर जाया करती। बचे हुए गोबर के अवशेष को केंचुए की मदद से देसी

खाद बनाकर पैक किया जाने लगा। वही बीच में एक तालाब बनाकर मछली पालन, बत्तख पालन का कार्य शुरू हो गया। सब कुछ लगभग ठीक ठाक चलने लगा। इसी स्थान को सिद्धार्थ राय ने नाम दिया खुरपी नेचर विलेज।

‘खुरपी नेचर विलेज’ जहां गो पालन, मछली पालन, बत्तख पालन के साथ ही तालाब में उन्होंने मोटर बोट की व्यवस्था कर दी। जहां आस्ट्रेलियन पक्षी, खरगोश देसी व विलायती मुर्गियों की प्रजाति कुत्ते, घोड़े, ऊंट का प्रबंध कर दिया। जिससे अब वहां पर्यटकों की आमद भी होने लगी। जिससे खुरपी नेचर विलेज आज गाजीपुर में एक मिनी पर्यटन स्थल का स्वरूप अख्तियार कर लिया है।इस संबंध में सिद्धार्थ राय ने बताया कि दुग्ध व्यवसाय के लिए गो पालन हमारा प्रमुख उद्देश्य रहा लेकिन उसके बाद गोबर के अनाज से मुगीर् पालन, गोबर के ही अवशेष से मछली पालन, मछलियों को चलाने के लिए बत्तख पालन व उसके बाद मोटर बोट डाल देने से हमारा कार्यस्थल अपने आप में एक बड़े पार्क का स्वरूप अख्तियार कर लिया। जिसे हमने बाद में पूर्ण रूप से व्यवसायिक स्वरूप देते हुए आसपास गांव वालों की मदद से उनके ऊपज को बाजार देने का काम करने लगे। देखते देखते स्थिति यह हो गई कि ‘खुरपी नेचर विलेज’ आसपास के युवाओं के लिए स्वरोजगार के परिपेक्ष में प्रयोगशाला का काम करने लगा। युवा सिद्धार्थ राय की सफलता को देखते हुए युवा आज भी वे युवा अपने सपनों को पूरा करते हुए नए भारत को नई दिशा दे सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *