Katni City: सड़कों में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़कें ? | Part 2
आप भी बनें मुहिम का हिस्सा: आवाज उठाएं, बदलाव लाएं
आप भी बनें मुहिम का हिस्सा: आवाज उठाएं, बदलाव लाएं
कटनी। शहर की सड़कों की बदहाली अब एक पुरानी कहानी बन चुकी है, लेकिन बरगवां ब्रिज से कटाएघाट मोड़ तक का मार्ग इस समस्या का जीता-जागता उदाहरण बन गया है
अभियान के तहत सुरेंद्र दुबे , सुरेंद्र पाठक संजय जैन संजय बरसैयां अवनीश उरमलिया जी ने बरगवां क्षेत्र की गड्ढों भरी सड़क की फोटो भेजी


कटनी। शहर की सड़कों की बदहाली अब एक पुरानी कहानी बन चुकी है, लेकिन बरगवां ब्रिज से कटाएघाट मोड़ तक का मार्ग इस समस्या का जीता-जागता उदाहरण बन गया है।
यहां चल रहा सीवेज लाइन का कार्य न केवल वर्षाकाल के निर्देशों की अनदेखी कर रहा है, बल्कि आमजन की जिंदगी को दांव पर लगा रहा है। जून में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट को बारिश के कारण प्रशासन ने बंद कराया था, लेकिन बिना मौसम सुधरे ही दोबारा चालू कर दिया गया।
नतीजा? सड़क पर गहरे गड्ढे, धूल का गुबार और वन-वे ट्रैफिक से शहर का आवागमन पूरी तरह चोक हो गया है।
सीवेज कार्य: निर्देशों की अवहेलना, खतरे की घंटीजून में बारिश के बीच शुरू हुए सीवेज लाइन कार्य को प्रशासन ने रोका था।
एसडीएम के स्पष्ट निर्देश थे – कार्य के दौरान सड़क में खोदे गए गड्ढों को तुरंत समतल किया जाए, सड़क को मजबूत बनाया जाए, ताकि वर्षा के दौरान कोई अप्रिय घटना न हो। जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कार्य को मानसून समाप्त होने के बाद ही शुरू करने का आदेश दिया गया था।
लेकिन अब, बारिश के ठीक पहले ही मशीनें फिर गरजने लगी हैं।वर्तमान में बरगवां ब्रिज से कटाएघाट मोड़ तक सीवेज पाइपलाइन बिछाने का काम जोरों पर है। इस कारण मुख्य सड़क बंद हो चुकी है, और यातायात को दूसरी तरफ डायवर्ट कर दिया गया है। शहर में वन-वे सिस्टम लागू होने से जाम की स्थिति बनी हुई है।
दुकानदारों से लेकर स्कूली बच्चों तक, हर कोई परेशान है। एक स्थानीय निवासी ने बताया, “सुबह के व्यस्त समय में 20-30 मिनट का सफर घंटों में बदल जाता है। गड्ढों से गाड़ियां झूलती हैं, दुर्घटना का डर हमेशा बना रहता है।
“धार्मिक केंद्रों के बीच धूल-गड्ढों का कहरयह मार्ग केवल यातायात का नहीं, बल्कि आस्था का भी केंद्र है। बरगवां क्षेत्र में दोनों तरफ दुर्गा प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं, और प्रसिद्ध भूमि प्रकट मां शारदा मंदिर भी यहीं स्थित है।
सड़क खुदाई से श्रद्धालु सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। धूल के गुबार से न केवल सांस लेना मुश्किल हो गया है, बल्कि मंदिर आने वाले भक्तों की सेहत पर भी असर पड़ रहा है। एक श्रद्धालु ने शिकायत की, “मंदिर दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन धूल से आंखें जलती हैं। गड्ढों के कारण बुजुर्गों और बच्चों को चलना ही दूभर है।
“प्रशासन की लापरवाही: जिम्मेदारी से भागते अधिकारीलोगों की परेशानियों पर जब यातायात प्रभारी राहुल पांडे से बात की गई, तो उन्होंने साफ कहा – “यह हमारा पार्ट नहीं है।”
जानकारी के मुताबिक, एसडीएम ने नगर निगम से संपर्क किया था। निगम की ओर से जवाब आया कि यातायात सुचारू रखना उनकी जिम्मेदारी है, लेकिन मौके पर कोई व्यवस्था नहीं दिखी। न बैरिकेडिंग, न साइनबोर्ड, न ही वैकल्पिक मार्ग के संकेत।
कटनी जिले में सड़कों की खराब स्थिति कोई नई बात नहीं – हाल ही में बड़वारा-देवरी हटाई मार्ग पर भी ओवरलोड वाहनों से गड्ढे बन गए हैं, जहां दुर्घटनाएं आम हो चुकी हैं। शहरवासियों को वर्षों से गड्ढों की मार झेलनी पड़ रही है, लेकिन मरम्मत के वादे कागजों तक सीमित हैं।
मुहिम को जनता का भरपूर समर्थन: पार्ट 1 की सफलता’सड़कों में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़कें’ अभियान का पार्ट 1 कुठला क्षेत्र की सड़कों पर केंद्रित था, जिसे लोगों ने खूब सराहा। katnicity.com को मिले प्यार के लिए हम आभारी हैं। इस मुहिम ने न केवल समस्याओं को उजागर किया, बल्कि जिम्मेदारों का ध्यान भी आकर्षित किया। अब पार्ट 2 में बरगवां-कटाएघाट की कहानी को आगे बढ़ा रहे हैं।
एक फोटो सुरेन्द्र दुबे ने बीजेपी कार्यालय के सामने की भेजी है


अभियान के तहत सुरेंद्र दुबे , सुरेंद्र पाठक संजय बरसैयां अवनीश उरमलिया जी ने बरगवां क्षेत्र की गड्ढों भरी सड़क की फोटो भेजी।
यह तस्वीरें समस्या की गहराई बयां करती हैं – गहरे गड्ढे, उखड़ी सतह और धूल का अम्बार।एक फोटो सुरेन्द्र दुबे ने बीजेपी कार्यालय के सामने की भेजी है।
जिम्मेदार अब इतनी मनमानी पर उतर आए हैं की सत्तारूढ़ दल के कार्यालय की रास्ते की भी सुध नहीं ले रहे।
आप भी बनें मुहिम का हिस्सा: आवाज उठाएं, बदलाव लाएंkatnicity.com की इस मुहिम में शामिल होकर आप शहर की सड़कों को बेहतर बनाने में योगदान दे सकते हैं।
गड्ढे वाली सड़क की फोटो लें, उसके साथ सटीक एड्रेस (जैसे – बरगवां ब्रिज के पास, कटाएघाट मोड़) जोड़ें और हमें भेजें।
हम न केवल न्यूज बनाएंगे, बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों – नगर निगम, एसडीएम, लोक निर्माण विभाग – तक आपकी आवाज पहुंचाएंगे। क्योंकि बदलाव की शुरुआत जनता की एकजुटता से ही होती है।
