अक्टूबर-नवंबर में सावन जैसी बरसात: कटनी के किसानों की धान फसल बर्बाद, मध्य प्रदेश में लाखों हेक्टेयर प्रभावित
यह रिपोर्ट स्थानीय किसानों के बयानों और मौसम विभाग के आंकड़ों पर आधारित है। नुकसान का सटीक आकलन जिला कृषि विभाग द्वारा किया जा रहा है
यह रिपोर्ट स्थानीय किसानों के बयानों और मौसम विभाग के आंकड़ों पर आधारित है। नुकसान का सटीक आकलन जिला कृषि विभाग द्वारा किया जा रहा है

अक्टूबर-नवंबर में सावन जैसी बरसात: कटनी के किसानों की धान फसल बर्बाद, मध्य प्रदेश में लाखों हेक्टेयर प्रभावित
कटनी (संवाददाता): मानसून के बाद भी थमने का नाम नहीं ले रही असामान्य वर्षा। अक्टूबर-नवंबर के महीने में सावन जैसी लगातार रिमझिम बरसात ने कटनी जिले के किसानों की कमर तोड़ दी है।
खेतों में खड़ी धान की फसल पानी में डूब रही है, जबकि हार्वेस्टर मशीनें खेतों तक पहुंच ही नहीं पा रही हैं। इस पूरे सप्ताह रुक-रुककर बरसने वाली बारिश ने न केवल किसानों को बेबस बना दिया,
राष्ट्रीय स्तर पर भी मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में अक्टूबर की अधिक वर्षा से खरीफ फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है, जहां 7 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र प्रभावित हो चुका है।
क्षेत्र के किसानों की धान फसल कटाई के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी थी, लेकिन लगातार बारिश से बेहद बारिश ने फसल को डुबो दिया। कटाई का समय था, मगर सब व्यर्थ हो गया। खेतों में पानी भर गया है। हार्वेस्टर नहीं जा पा रहे।फसल भी पानी में गिरकर खराब हो रही है।
अब लागत भी नहीं निकलेगी।
” सरकार को तुरंत राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए।”
इन किसानों की आमदनी का मुख्य स्रोत धान ही है, और इस मौसम की बेरुखी ने उनके परिवारों का भविष्य अंधेरे में डाल दिया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अक्टूबर की अधिक वर्षा से धान, कपास और सोयाबीन जैसी फसलों को गंभीर क्षति पहुंची है, जो कृषि विकास दर को आधी कर सकती है।
बाजारों का भी बुरा हाल है। लगातार बारिश ने व्यापार ठप कर दिया। इस सप्ताह दुकानें बंद रहीं, सड़कें सुनसान। स्थानीय व्यापारियों ने बताया, “लोग घरों में कैद हैं।
दैनिक कारोबार पर भारी असर पड़ा है।” मध्य प्रदेश में भारी वर्षा और बाढ़ से खरीफ फसलों को 25-30% तक नुकसान का अनुमान है, जो रबी फसलों की बुआई को भी प्रभावित कर सकता है।
मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों में भी हल्की से मध्यम वर्षा जारी रह सकती है। जिला प्रशासन ने किसानों को सलाह दी है कि वे फसल को जल्द से जल्द काटने का प्रयास करें और नुकसान का आकलन करवाएं।
लेकिन सवाल यह है कि इतनी बर्बादी के बाद किसान फिर से खेतों में लौट पाएंगे?
क्षेत्र के किसान संगठनों ने मांग की है कि केंद्र और राज्य सरकारें तत्काल मुआवजा घोषित करें, ताकि इनकी मेहनत व्यर्थ न जाए। राष्ट्रीय स्तर पर भी किसान संगठन कृषि मंत्रालय से आपात राहत की मांग कर रहे हैं।
(नोट: यह रिपोर्ट स्थानीय किसानों के बयानों और मौसम विभाग के आंकड़ों पर आधारित है। नुकसान का सटीक आकलन जिला कृषि विभाग द्वारा किया जा रहा है।)
