Katni Roopnath Dham जिले का ऐतिहासिक स्थान रूपनाथ धाम
पहाडियों के एक सिरे पर स्थित रूपनाथ धाम है। पहाड़ी में स्थित कुंड यहां राम के आने की कहानी कहते हैं।सबसे नीचे का कुंड सीता कुंड, मध्य का लक्ष्मण कुंड और सबसे ऊपर भगवान राम का कुंड है।
पहाडियों के एक सिरे पर स्थित रूपनाथ धाम है। पहाड़ी में स्थित कुंड यहां राम के आने की कहानी कहते हैं।सबसे नीचे का कुंड सीता कुंड, मध्य का लक्ष्मण कुंड और सबसे ऊपर भगवान राम का कुंड है। ऐसी मान्यता है कि अपने वन गमन के समय यहां राम आए थे। उन्हीं के प्रतीक स्वरूप इस पहाड़ी में यह कुंड बने।
रूपनाथ धाम में पंचलिंगी शिव प्रतिमा है, जिसे रूपनाथ के नाम से जाना जाता है। रूपनाथ धाम के पुजारियों के बताए अनुसार यहां को लेकर मान्यता है कि जागेश्वरधाम बांदकपुर के लिए भगवान भोलेनाथ यहीं से गए। प्रकृति की गोद में बसे रूपनाथधाम में कई जिलों से लोग पहुंचते हैं। शिवरात्रि में यहां विशेष पूजन अर्चन होता है।
प्राकृतिक कुंडों में भरा पानी, गुफा में विराजे भगवान भोलेनाथ, चारों ओर अनूठी प्राकृतिक छटा और इन सभी के बीच में सम्राट अशोक के शिलालेख, यह सब मौजूद है, जिले की बहोरीबंद तहसील के ऐतिहासिक स्थल रूपनाथधाम में। पुरातत्व महत्व व लोगों की आस्था का केन्द्र यह स्थल अपने आप में अनूठे रहस्यों से भरा है। पहाड़ी के विशाल पत्थरों के बीच बनी गुफा और सम्राट अशोक के शिलालेख तीनों को लेकर अलग-अलग चर्चाएं हैं। कहा जाता है कि 232 ईसा पूर्व तक शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के सम्राट अशोक मौर्य (सम्राट अशोक) जिले के छोटे से नगर बहोरीबंद के समीप स्थित रूपनाथ में रुके थे। रूपनाथ धाम में उनके रहने व ठहरने सहित कई उपयोगी शिलालेख व उनके माध्यम से कराए गए निर्माण उनके ठहरने का आज भी प्रमाण देते हैं।
कैसे पहुंचे
कटनी स्टेशन में उतरकर बस या टैक्सी से रूपनाथ धाम पहुंचा जा सकता है. यहां से स्लीमनाबाद होते हुए बहोरीबंद पहुंच कर यहां से 5 किलोमीटर दूर रूपनाथ धाम पहुंचा जा सकता है।