Katni news एनजीटी की सख्ती से घबराई धनलक्ष्मी कंपनी: याचिका दाखिल होते ही रेत खदान सरेंडर, जांच के आदेश जारी
स्थानीय पर्यावरणविदों और किसानों का कहना है कि यदि जांच में आरोप सिद्ध हुए, तो यह कटनी में रेत माफिया पर नकेल कसने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है
स्थानीय पर्यावरणविदों और किसानों का कहना है कि यदि जांच में आरोप सिद्ध हुए, तो यह कटनी में रेत माफिया पर नकेल कसने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है

कटनी में अवैध रेत खनन पर बड़ा खुलासा: पर्यावरण कार्यकर्ता खुशी बग्गा की याचिका से फंसी कंपनी, नदियों का प्रवाह मोड़ने और पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी के आरोप
कटनी, 09 अक्टूबर 2025: राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) की केंद्रीय जोन बेंच ने कटनी जिले में रेत खनन संचालित करने वाली धनलक्ष्मी मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड (डीएमपीएल) के खिलाफ पर्यावरणीय उल्लंघनों की जांच के सख्त आदेश जारी किए हैं।
पर्यावरण कार्यकर्ता खुशी बग्गा द्वारा दायर याचिका के बाद कंपनी ने बीच में ही खदान सरेंडर करने का आवेदन दे दिया, लेकिन देनदारियों के कारण शासन ने इसे अभी स्वीकार नहीं किया है।
इस मामले ने स्थानीय स्तर पर अवैध खनन और पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे को फिर से गरमा दिया है।याचिका के प्रमुख आरोप और सबूतखुशी बग्गा ने एनजीटी में मूल आवेदन क्रमांक 126/2025 सीजेड दाखिल कर उमरार, महानदी, हलफल और बेलकुंड नदियों में हो रहे अवैध खनन पर गंभीर सवाल उठाए।
याचिका में कंपनी पर लगाए गए मुख्य आरोपों में शामिल हैं:पर्यावरणीय स्वीकृति का अभाव: कंपनी ने बिना वैध पर्यावरणीय क्लीयरेंस और पट्टे के बड़े पैमाने पर खनन किया।
नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बाधित: भारी मशीनों के इस्तेमाल से नदियों के किनारों का क्षरण बढ़ा, जिससे जलस्रोतों, फसलों और मछलियों को भारी नुकसान पहुंचा।
परिस्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव: इससे स्थानीय भूजल रिचार्ज सिस्टम प्रभावित हुआ और जैव विविधता को खतरा पैदा हो गया।
याचिका में ठोस सबूतों के रूप में तकनीकी रिपोर्ट, फोटो और सैटेलाइट इमेजरी शामिल की गईं, जो कंपनी की अनियमितताओं को उजागर करती हैं।
जवाब देने की बजाय, कंपनी ने खदान सरेंडर का रास्ता चुना, लेकिन शासन ने बकाया राशि और अन्य देनदारियों के चलते इसे नामंजूर कर दिया। इसी बीच, नई टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई है, जो पारदर्शिता पर नए सवाल खड़े कर रही है।
एनजीटी का सख्त रुख: संयुक्त जांच समिति गठितएनजीटी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल कार्रवाई की।
बेंच ने एक संयुक्त जांच समिति का गठन किया, जिसमें शामिल हैं:केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी)राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी)पर्यावरण विशेषज्ञसमिति को छह सप्ताह के भीतर स्थल निरीक्षण कर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
साथ ही, कंपनी को भी छह सप्ताह में अपना पक्ष रखना होगा। पर्यावरणविदों का मानना है कि यह जांच अवैध खनन की जड़ों तक पहुंच सकती है और भविष्य में ऐसी अनियमितताओं पर लगाम लगा सकती है।
अगली सुनवाई और संभावित प्रभावमामले की अगली सुनवाई 4 नवंबर 2025 को तय की गई है। पर्यावरण कार्यकर्ता खुशी बग्गा ने कहा, “यह केवल एक कंपनी की कहानी नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में नदियों और पर्यावरण की रक्षा का मुद्दा है।
एनजीटी का यह कदम उम्मीद की किरण है।”स्थानीय पर्यावरणविदों और किसानों का कहना है कि यदि जांच में आरोप सिद्ध हुए, तो यह कटनी में रेत माफिया पर नकेल कसने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
यह घटना मध्य प्रदेश में पर्यावरणीय नियमों की सख्ती से पालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है, जहां अवैध खनन से नदियां और कृषि क्षेत्र लगातार प्रभावित हो रहे हैं।
