Katni alert!(‘साइलेंट किलर’) कटनी की हवा हो रही जहरीली: AQI 243 पर पहुंचा, फेफड़ों के लिए खतरा—मध्य प्रदेश में प्रदूषण का ‘साइलेंट किलर’
प्रदूषण कोई शहर तक की सीमित समस्या नहीं—यह हमारी सांसों का सवाल है। कटनी को ‘साफ हवा का शहर’ बनाने के लिए अब जागें, वरना कल बहुत देर हो जाएगी
प्रदूषण कोई शहर तक की सीमित समस्या नहीं—यह हमारी सांसों का सवाल है। कटनी को ‘साफ हवा का शहर’ बनाने के लिए अब जागें, वरना कल बहुत देर हो जाएगी

कटनी, 14 नवंबर 2025: मध्य प्रदेश के औद्योगिक नगरी कटनी में वायु प्रदूषण का स्तर चरम पर पहुंच गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, कटनी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 243 तक पहुंच चुका है, जो ‘खराब’ (Poor) श्रेणी में आता है। यह स्तर न केवल सांस लेने वालों के लिए हानिकारक है, बल्कि लंबे समय तक संपर्क से फेफड़ों की गंभीर बीमारियां जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और यहां तक कि कैंसर का खतरा बढ़ा देता है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि राज्य में कटनी सबसे प्रदूषित शहर नहीं है—सिंगरौली, इंदौर और ग्वालियर जैसे शहरों का AQI इससे भी ऊंचा है। फिर भी, स्थानीय निवासियों की अनभिज्ञता इस ‘अदृश्य संकट’ को और गहरा बना रही है।
क्यों बढ़ रहा प्रदूषण? स्थानीय कारक बने विलेन
कटनी, जो सीमेंट और खनन उद्योगों का केंद्र है, में धूल, वाहनों के धुएं और पराली जलाने जैसी गतिविधियां AQI को धक्का दे रही हैं। CPCB के 13 नवंबर के डेटा में कटनी का AQI 243 दर्ज किया गया, जो PM2.5 कणों के कारण है—ये सूक्ष्म कण फेफड़ों में घुसकर रक्तप्रवाह को प्रभावित करते हैं। हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि शहर का AQI 209 से 243 के बीच घूम रहा है, जो संवेदनशील समूहों (बच्चे, बुजुर्ग, अस्थमा रोगी) के लिए ‘अस्वास्थ्यकर’ (Unhealthy) है।
मध्य प्रदेश में प्रदूषण की दौड़ में कटनी भले ही टॉप पर न हो, लेकिन सिंगरौली (AQI 300+), इंदौर (पिछले दिनों 361) और ग्वालियर (200+) जैसे शहरों के बाद यह चौथे-पांचवें स्थान पर आ चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली-जैसे राष्ट्रीय फोकस के कारण छोटे शहरों का प्रदूषण ‘भुला’ दिया जाता है, जबकि यहां की 99% आबादी साफ हवा का भ्रम पाल रही है। एक स्थानीय डॉक्टर ने बताया, “बच्चों में सांस की तकलीफ के केस 30% बढ़े हैं, लेकिन लोग इसे मौसमी बदलाव कहकर नजरअंदाज कर देते हैं।”
स्वास्थ्य पर असर: बच्चे सबसे ज्यादा खतरे में
AQI 200 से ऊपर का स्तर ‘खराब’ माना जाता है, जहां स्वस्थ लोग भी सिरदर्द, खांसी और आंखों में जलन महसूस कर सकते हैं। संवेदनशील लोगों के लिए यह ‘बहुत खराब’ (Very Unhealthy) है—फेफड़ों में सूजन, हृदय रोग का जोखिम और यहां तक कि समय से पहले मौत का खतरा। कटनी के निवासी, जो खुद को ‘गांव जैसी शुद्ध हवा’ का हकदार मानते हैं, वास्तव में रोजाना जहरीला धुआं सांस ले रहे हैं। एक मां ने शेयर किया, “मेरा बच्चा खेलते हुए खांसता है, लेकिन हम सोचते हैं दिल्ली जैसा तो नहीं। आंकड़े देखकर डर लग रहा है।”
| AQI स्तर | श्रेणी | स्वास्थ्य प्रभाव |
|---|---|---|
| 0-50 | अच्छा (Good) | न्यूनतम प्रभाव |
| 51-100 | संतोषजनक (Satisfactory) | संवेदनशील समूहों पर हल्का प्रभाव |
| 101-200 | मध्यम (Moderate) | अस्वास्थ्यकर संवेदनशील समूहों के लिए |
| 201-300 | खराब (Poor) | सभी पर हानिकारक, फेफड़ों पर असर |
| 301+ | बहुत खराब (Very Poor) | आपातकालीन स्थिति, सभी प्रभावित |
क्या करें? जागरूकता और कार्रवाई की जरूरत
- व्यक्तिगत उपाय: मास्क पहनें, INDOORS रहें, एयर प्यूरीफायर इस्तेमाल करें। बाहर कम निकलें, खासकर सुबह-शाम।
- सरकारी अपील: कटनी जिला प्रशासन ने PM2.5 मॉनिटरिंग बढ़ाई है, लेकिन किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए सब्सिडी वाले विकल्प दें। MP प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPPCB) के अनुसार, औसत AQI 89 है, लेकिन स्थानीय स्पॉट्स पर यह 200+ पहुंच रहा।
नागरिकों से अपील: AQI ऐप्स (जैसे IQAir या AQI.in) डाउनलोड करें और रीयल-टाइम चेक करें। प्रदूषण कोई शहर-सीमित समस्या नहीं—यह हमारी सांसों का सवाल है। कटनी को ‘साफ हवा का शहर’ बनाने के लिए अब जागें, वरना कल बहुत देर हो जाएगी।
