दीपावली की रौनक में छोटे व्यापारियों का उत्सव: कटनी निगमाध्यक्ष मनीष पाठक ने CM को पत्र लिखा, मांगी छूट और अनुमति
यह पहल न केवल कटनी, बल्कि पूरे मध्यप्रदेश के लिए एक मिसाल साबित हो सकती है, जहां त्योहार आर्थिक समावेशिता का प्रतीक बने
यह पहल न केवल कटनी, बल्कि पूरे मध्यप्रदेश के लिए एक मिसाल साबित हो सकती है, जहां त्योहार आर्थिक समावेशिता का प्रतीक बने

कटनी, 16 अक्टूबर 2025: दीपावली के उजाले न केवल घरों को रोशन करेंगे, बल्कि छोटे व्यापारियों, रेहड़ी-पटरी वालों, महिला स्व-सहायता समूहों और स्थानीय कारीगरों के जीवन में भी नई उम्मीद जगाएंगे।
कटनी नगर निगम के अध्यक्ष मनीष पाठक ने इस पर्व को इन वर्गों की खुशहाली का माध्यम बनाने के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखा है।
उन्होंने अनुरोध किया है कि पिछले वर्ष की तर्ज पर इस बार भी इनका अस्थायी व्यापार निर्धारित स्थानों पर अनुमति और शुल्क में छूट दी जाए, ताकि दीपावली उनके लिए रोजगार का स्वर्णिम अवसर बने।श्री पाठक ने पत्र में स्पष्ट किया कि दीपावली केवल पटाखों और मिठाइयों का त्योहार नहीं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देने वाला पर्व है।
“यह उत्सव रोशनी और आनंद का प्रतीक तो है ही, लेकिन छोटे कारीगरों और लघु व्यवसायियों के लिए यह साल भर की मेहनत का फल है।
यदि इन्हें अस्थायी अनुमति मिलेगी, तो उनकी आजीविका मजबूत होगी और शहर की सड़कों पर रौनक लौट आएगी,” उन्होंने कहा। उनका मानना है कि ऐसी पहल से न केवल इनकी आय में वृद्धि होगी, बल्कि स्थानीय बाजारों में ग्राहकों की भीड़ बढ़ेगी, जो समग्र आर्थिक विकास को बल देगी।
मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के प्रोत्साहन को रेखांकित करते हुए श्री पाठक ने कहा, “मुख्यमंत्री जी ने हमेशा लघु उद्यमियों और महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता दी है।
दीपावली जैसे अवसर पर इन वर्गों को राहत और सम्मानजनक मंच प्रदान करना उचित होगा।” कटनी जैसे छोटे शहरों में सैकड़ों परिवार ऐसे हैं जो पूरे वर्ष की कमाई इसी पर्व पर निर्भर करते हैं।
निगम की ओर से भी इनके लिए विशेष बाजार स्थलों की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन राज्य स्तर की छूट से यह प्रयास और प्रभावी होगा।
श्री पाठक ने आशा जताई है कि मुख्यमंत्री शीघ्र निर्देश जारी करेंगे, जिससे दीपावली के दीयों की तरह छोटे व्यापारियों के चेहरों पर भी उजियारा छा जाए।
यह पहल न केवल कटनी, बल्कि पूरे मध्यप्रदेश के लिए एक मिसाल साबित हो सकती है, जहां त्योहार आर्थिक समावेशिता का प्रतीक बने।
