google1b86b3abb3c98565.html

अपने ऐतिहासिक सांस्कृतिक वैभव को समेटे गुपचुप पड़ी पुष्पवती ( बिलहरी ) की नायाब धरोहर ।

अपने ऐतिहासिक सांस्कृतिक वैभव को समेटे गुपचुप पड़ी पुष्पवती ( बिलहरी ) की नायाब धरोहर ।

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय , ॐ नमः शिवाय

कटनी नगर से 15 कि. मी. दूर स्थित बिलहरी , जिसे अंग्रेज काल के पूर्व समृद्ध ऐतिहासिक नगरी पुष्पवती के नाम से जाना जाता रहा है । यहां 11 वीं – 12 वीं सदी में तेवर ( वर्तमान जबलपुर ) के कल्चुरी शासकों द्वारा ,जो शैव पंथ के उपासक रहे हैं , शिव को समर्पित अनेक देवालय निर्मित कराए गए थे । जो कालांतर में कल्चुरी शासकों के पराभव एवं हजार साल से अधिक समय के थपेड़े खाते खाते ध्वस्त एवं नष्ट भ्रष्ट हो गए है । किंतु इनके प्रचुर अवशेष आज भी बिलहरी के चप्पे चप्पे में देखने को मिलते हैं । जो पुरातत्व विभाग की देखरेख में हैं । कल्चुरी काल के ऐसे ही नायाब शिवलिंग की स्थापना जिस मंदिर में की गई थी , वह मंदिर तो ध्वस्त हो चुका है । किंतु उसमें स्थापित अष्ट कोणीय शिवलिंग जो काले पत्थर में लगभग साढ़े तीन फीट ऊंचा एवं लगभग डेढ़ – पौने दो फीट व्यास में है आज भी अपनी पीठिका में ज्यों का त्यों स्थित है । कल्चुरी काल में यहां ग्रामवासियों का निवास नहीं था ।

You may have missed