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आदिवासी जमीन घोटाला: विधायक संजय पाठक पर 1135 एकड़ बेनामी खरीद के आरोप, कटनी कलेक्ट्रेट का घेराव

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प्रदर्शनकारियों का कहना है कि महीनों बीत जाने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि महीनों बीत जाने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई

कटनी, 19 नवंबर 2025: मध्य प्रदेश के चर्चित आदिवासी बैगा समुदाय की जमीन बेनामी तरीके से हड़पने के मामले में एक बार फिर सियासी और प्रशासनिक गलियारे गरमा गए हैं।

विजयराघवगढ़ से भाजपा विधायक संजय सत्येंद्र पाठक पर अपने चार आदिवासी कर्मचारियों के नाम से पांच जिलों में करीब 1135 एकड़ जमीन खरीदने के गंभीर आरोप लगे हैं।

मामले में कार्रवाई नहीं होने से नाराज आदिवासी संगठनों और युवक कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बुधवार को कटनी कलेक्ट्रेट का घेराव किया और जोरदार प्रदर्शन किया।

क्या हैं आरोप?

शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि विधायक संजय पाठक ने अपने चार आदिवासी कर्मचारियों – नत्थू कोल, प्रहलाद कोल, राकेश सिंह गोंड और रघुराज सिंह गोंड – के नाम पर डिंडोरी, जबलपुर, उमरिया, कटनी और सिवनी जिलों में करोड़ों रुपये की लगभग 1135 एकड़ बैगा आदिवासी जमीन बेनामी तरीके से खरीदी है।

ये कर्मचारी विधायक के निजी स्टाफ में बताए जा रहे हैं।शिकायतों का क्रम29 सितंबर 2025: कलेक्टर को पहली लिखित शिकायत दी गई।

9 जून 2025: पुलिस अधीक्षक को सभी दस्तावेजों सहित शिकायत सौंपी गई।20 जून 2025: ASP स्तर पर जांच अधिकारी नियुक्त किए गए।प्रदर्शनकारियों का कहना है कि महीनों बीत जाने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

चारों आदिवासी कर्मचारियों के बयान तक दर्ज नहीं किए गए और न ही उनके पिछले 25 वर्षों के बैंक खातों की जांच शुरू हुई है।युवक कांग्रेस के नेतृत्व में प्रदर्शनयुवक कांग्रेस नेता दिव्यांशु उर्फ अंशु मिश्रा के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ताओं और आदिवासी संगठनों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर नारेबाजी की।

प्रदर्शनकारियों ने जिला प्रशासन और पुलिस पर “मामले को दबाने” का आरोप लगाया।

कलेक्टर और एसपी के नाम ज्ञापन सौंपते हुए मुख्य मांगें रखी गईं:चारों आदिवासी कर्मचारियों के पिछले 25 वर्षों के बैंक खातों की तत्काल जांच।इन कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

मामले की निष्पक्ष और तेज जांच हो।आरोप साबित होने पर विधायक संजय पाठक पर तुरंत FIR दर्ज की जाए।प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा।

इस मामले ने एक बार फिर आदिवासी जमीनों की अवैध खरीद-फरोख्त और बेनामी लेन-देन के बड़े रैकेट की ओर इशारा किया है। प्रशासन ने ज्ञापन स्वीकार कर लिया है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

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