नाबालिग से छेड़छाड़ के दोषी को 2 वर्ष का सश्रम कारावास
यह फैसला नाबालिगों के खिलाफ अपराधों के प्रति कठोर कानूनी रुख को दर्शाता है
यह फैसला नाबालिगों के खिलाफ अपराधों के प्रति कठोर कानूनी रुख को दर्शाता है

कटनी, मध्य प्रदेश: माननीय विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) ने थाना माधवनगर के अपराध क्रमांक 927/2024 के विशेष सत्र प्रकरण क्रमांक एससी/02/25 में आरोपी पंकज चौधरी को दोषी ठहराते हुए कड़ी सजा सुनाई है।
आरोपी को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धारा 75(1)(ii) और 78, साथ ही पॉक्सो एक्ट की धारा 11(i),(iv)/12 के तहत दोषी पाया गया।
न्यायालय ने आरोपी को दोनों धाराओं में 2-2 वर्ष के सश्रम कारावास और प्रत्येक में 1000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। मामले में शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्री आशुतोष द्विवेदी ने की।
मामले का विवरण
मामले की जानकारी देते हुए मीडिया सेल प्रभारी सुरेंद्र कुमार गर्ग ने बताया कि पीड़िता, जो 14 वर्ष 3 माह की है और कक्षा 9वीं की छात्रा है, ने अपनी शिकायत में कहा कि आरोपी पंकज चौधरी, जो उसके घर के सामने रहता है, पिछले 10-15 दिनों से उसका पीछा कर रहा था।
वह स्कूल जाते-आते समय उसे परेशान करता और अश्लील बातें करता था। पीड़िता ने कई बार आरोपी को चेतावनी दी कि वह उसकी हरकतों की शिकायत अपने परिवार से करेगी।
दिनांक 10 नवंबर 2024 को सुबह 8:00 से 8:30 बजे के बीच, जब पीड़िता अपने घर के सामने खड़ी थी, तब आरोपी ने उससे कहा कि वह उससे प्यार करता है और उससे शादी करना चाहता है।
उसने धमकी दी कि यदि उसने शादी से इनकार किया, तो वह उसके परिवार को जान से मार देगा। डरी हुई पीड़िता ने तुरंत यह बात अपनी दादी, मां और पिता को बताई। इसके बाद, पीड़िता अपने पिता और दादी के साथ आरक्षी केंद्र माधवनगर पहुंची और मौखिक शिकायत दर्ज कराई।
कानूनी प्रक्रिया
शिकायत के आधार पर थाना माधवनगर में अपराध क्रमांक 927/2024 दर्ज किया गया, जिसमें बीएनएस की धारा 75, 78, 351(3) और पॉक्सो एक्ट की धारा 11 सहपठित 12 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। विवेचना के दौरान पीड़िता की आयु 18 वर्ष से कम पाए जाने पर आरोपी के खिलाफ उक्त धाराओं में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया।
न्यायालय का निर्णय
विचारण के दौरान, अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य, गवाहों के बयान और दस्तावेजों के आधार पर माननीय विशेष न्यायालय ने आरोपी पंकज चौधरी को छेड़छाड़ और धमकी देने के आरोप में दोषी पाया।
न्यायालय ने अभियोजन के तर्कों को स्वीकार करते हुए आरोपी को निम्नलिखित सजा सुनाई:
बीएनएस धारा 75(1)(ii) और पॉक्सो एक्ट धारा 11(i)/12: 2 वर्ष का सश्रम कारावास और 1000 रुपये का जुर्माना।बीएनएस धारा 78 और पॉक्सो एक्ट धारा 11(iv)/12: 2 वर्ष का सश्रम कारावास और 1000 रुपये का जुर्माना।
अभियोजन की भूमिका
मामले में विशेष लोक अभियोजक श्री आशुतोष द्विवेदी ने प्रभावी पैरवी कर अभियोजन के पक्ष को मजबूती से प्रस्तुत किया,
जिसके परिणाम स्वरूप यह सजा संभव हो सकी।यह फैसला नाबालिगों के खिलाफ अपराधों के प्रति कठोर कानूनी रुख को दर्शाता है और समाज में ऐसे अपराधों के खिलाफ सख्त संदेश देता है।
