कटनी, 10 अक्टूबर 2025: कटनी शहर की सड़कों पर बड़े वाहनों का अंबार लगना और यातायात जाम की समस्या आज भी आम हो चुकी है।
इसका एक बड़ा कारण है 1983 में शुरू हुई ट्रांसपोर्ट नगर योजना, जो ग्राम पुरैनी में विकसित होनी थी। 12 साल पहले 2012 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट का विकास अभी भी अधूरा है।
नगर निगम ने 226 भूखंड आवंटित किए, लेकिन कई प्लॉट खाली पड़े हैं, क्योंकि ट्रांसपोर्टरों ने न तो रजिस्ट्री कराई और न ही निर्माण शुरू किया। नतीजा? शहर की सड़कें अभी भी भारी वाहनों से जूझ रही हैं, जिससे प्रदूषण और जाम की समस्या बढ़ती जा रही है।
योजना की शुरुआत: यातायात जाम का स्थायी समाधान था सपनाकटनी जैसे औद्योगिक शहर में बढ़ते ट्रांसपोर्ट कारोबार ने 1980 के दशक में यातायात की समस्या पैदा कर दी थी।
बड़े ट्रक और कंटेनर सड़कों पर घूमते रहते, जिससे छोटे वाहनों को परेशानी होती। इसी समस्या के समाधान के लिए 1983 में ट्रांसपोर्ट नगर योजना की नींव पड़ी।
यह योजना कटनी नगर निगम सीमा के अंतर्गत आने वाले ग्राम पुरैनी में स्थापित की जानी थी, जहां ट्रांसपोर्टरों को एक केंद्रीकृत हब मिल जाता। यहां गोदाम, कार्यालय और पार्किंग सुविधाएं विकसित होनी थीं, ताकि शहर की मुख्य सड़कों से भारी वाहन दूर रहें।
लेकिन कागजों से जमीनी हकीकत तक पहुंचने में 29 साल लग गए। 2012 में आखिरकार विकास कार्य शुरू हुए और ट्रांसपोर्ट कारोबारियों को 30 साल की लीज पर 226 भूखंड आवंटित कर दिए गए। यह कदम शहरवासियों के लिए राहत की उम्मीद लेकर आया, लेकिन अब लगभग एक दशक बाद भी योजना अधर में लटकी हुई है।
वर्तमान स्थिति: आधे प्लॉट पर निर्माण, आधे पर सन्नाटानगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक, 114 ट्रांसपोर्टरों को प्लॉट आवंटित किए गए थे। इनमें से केवल 102 ने रजिस्ट्री कराई है, जबकि बाकी ने या तो निर्माण शुरू नहीं किया या पट्टे पर लापरवाही बरती।
इतना ही नहीं, कुछ ट्रांसपोर्टरों के पट्टे निरस्त भी कर दिए गए हैं, क्योंकि उन्होंने निर्धारित समय में कोई प्रगति नहीं दिखाई।दूसरी ओर, 115 ट्रांसपोर्टर अभी भी प्लॉट आवंटन की प्रतीक्षा में हैं।
इनकी मांग है कि शेष भूखंड कम दरों पर उपलब्ध कराए जाएं, ताकि वे भी कारोबार को मजबूत कर सकें। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि योजना को गति देने के प्रयास जारी हैं, लेकिन फंडिंग और कानूनी बाधाओं ने काम को धीमा कर दिया है।
चुनौतियां: देरी से शहर को हो रही दोहरी मार
ट्रांसपोर्ट नगर योजना के अधूरे रहने से कटनी शहर को दोहरी मार पड़ रही है। पहली, बड़े वाहनों का शहर में प्रवेश बंद न होने से मुख्य सड़कें—जैसे जाबली रोड और स्टेशन रोड—पर हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है।
इससे ईंधन की बर्बादी, वायु प्रदूषण और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। स्थानीय व्यापारी और निवासी शिकायत करते हैं कि यह समस्या उनकी दैनिक जिंदगी को प्रभावित कर रही है।
दूसरी चुनौती ट्रांसपोर्टरों की है।
जो प्लॉट ले चुके हैं, वे निर्माण में देरी का बहाना बनाते हैं—कभी फंड की कमी, कभी बुनियादी सुविधाओं का अभाव। वहीं, बाकी कारोबारी कम दरों की मांग कर रहे हैं, जिससे नगर निगम पर दबाव बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि योजना पूरी नहीं हुई, तो कटनी का ट्रांसपोर्ट सेक्टर पिछड़ सकता है, जबकि पड़ोसी शहर जैसे जबलपुर पहले ही ऐसे हब विकसित कर चुके हैं।
आगे की राह: क्या बनेगी योजना पूरी?
नगर निगम ने हाल ही में योजना को पुनर्जीवित करने के लिए एक समिति गठित की है, जो ट्रांसपोर्टरों से बातचीत करेगी। यदि पट्टे निरस्त करने की प्रक्रिया तेज हुई और नई आवंटन प्रक्रिया पारदर्शी बनी, तो शायद शहर को राहत मिले।
लेकिन सवाल यह है—क्या 40 साल पुराना सपना अब भी साकार हो पाएगा, या कटनी की सड़कें जाम की भेंट चढ़ती रहेंगी?
ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हमें प्लॉट तो मिले, लेकिन बिजली, पानी और सड़क जैसी सुविधाएं अभी भी सपना हैं।
सरकार को अब ठोस कदम उठाने चाहिए।” शहरवासियों की नजरें अब नगर निगम पर टिकी हैं—क्या यह योजना सिर्फ कागजों तक सीमित रहेगी, या कटनी को सांस लेने लायक सड़कें मिलें
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