कटनी, 10 अक्टूबर 2025: कटनी नगर निगम के विकास कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोपों ने नया मोड़ ले लिया है।
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, ठेकेदारों, अधिकारियों और स्थानीय नेताओं का एक कथित सिंडिकेट टेंडर प्रक्रिया से लेकर ठेके के क्रियान्वयन तक सब कुछ तय कर रहा है।
बाहरी फर्मों को मौका नहीं मिलता, जबकि आंतरिक सौदेबाजी से प्रोजेक्ट की लागत बढ़ाई जाती है। यह सिंडिकेट न केवल शहर के विकास को प्रभावित कर रहा है, बल्कि टैक्सपेयर्स के पैसे की बर्बादी का कारण भी बन रहा है।
हाल के वर्षों में नगर निगम पर भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें महापौर के कार्यकाल में अनियमितताओं की जांच भी शामिल है।
पूर्व-निर्धारित रणनीति: डमी फर्मों से पारदर्शिता का दिखावा
निगम के सूत्र बताते हैं कि ठेके जारी होने से पहले ही प्रभावशाली नेता, ठेकेदार और इंजीनियर मिलकर रणनीति तैयार कर लेते हैं। मुख्य फर्म अपनी दरें तय करती है, जबकि दिखावे के लिए दो-तीन डमी फर्मों से टेंडर डलवाए जाते हैं। इससे प्रक्रिया पारदर्शी लगती है, लेकिन वास्तव में सब कुछ तय होता है।
एक वरिष्ठ इंजीनियर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “यह सिस्टम सालों से चल रहा है। बिना सिंडिकेट की मंजूरी के कोई काम नहीं होता।”यह प्रथा नई नहीं है।
साइलेंट पार्टनर: नेताओं की भूमिका और प्रोजेक्ट लागत में हेराफेरी
सूत्रों का दावा है कि कई ठेकेदारों के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि ‘साइलेंट पार्टनर’ के रूप में जुड़े हैं। इंजीनियरों की सांठगांठ से प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत जानबूझकर बढ़ाई जाती है, ताकि 20-25 प्रतिशत कम दर की बोली लगाकर ठेका हासिल किया जा सके। इससे बाहरी ठेकेदार प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाते हैं।
सबसे चर्चित मामला एक प्रमुख नेता के परिवार से जुड़ा है। उनके बेटे ने हाल ही में नई फर्म रजिस्टर कराई और 27 प्रतिशत कम दर से एक बड़े प्रोजेक्ट का ठेका ले लिया।
यह ठेका राजनीतिक प्रभाव का उदाहरण माना जा रहा है, जहां पारिवारिक हित विकास कार्यों पर हावी हो गए हैं।
एक स्थानीय व्यापारी ने कहा, “राजनीति छोड़कर ठेकेदारी में उतरना शहर के लिए दुर्भाग्य है। इससे आम आदमी का भरोसा टूट रहा है।
“बैकडोर एंट्री: अफसरों की फर्में और गुणवत्ता की अनदेखी
नगर निगम के कुछ अफसर कथित तौर पर बैकडोर से ठेके ले रहे हैं। वे परिवार के सदस्यों के नाम पर फर्में चला रहे हैं—जैसे एक अफसर अपने भाई के नाम से काम कर रहा है।
सिंडिकेट का प्रभाव इतना है कि काम की गुणवत्ता की जांच तक नहीं होती। सब कुछ बिना रोक-टोक पास हो जाता है।2025 में ही सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में दावा किया गया कि नगर निगम में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा हो चुकी है, जहां विकास का विजन जीरो है।
उपयोगकर्ता ने लिखा, “आम जनता सिर्फ टैक्स देने की मशीन बनकर रह गई है।
” लाभ का बंटवारा: कमीशन और आपसी हिस्सेदारी
सूत्रों के अनुसार, प्रोजेक्ट से होने वाला लाभ सिंडिकेट के सदस्यों के बीच हिस्सेदारी के आधार पर बांटा जाता है। कमीशन का अलग खेल चलता है, जिसमें अफसर और बिचौलिये शामिल हैंl
क्या कहते हैं अधिकारी?
नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, “सभी टेंडर ई-टेंडरिंग के माध्यम से पारदर्शी तरीके से होते हैं।
शिकायतें राजनीतिक हैं।” हालांकि, विपक्षी नेता ने मांग की है कि स्वतंत्र जांच हो। “यह सिंडिकेट शहर को लूट रहा है। CAG ऑडिट जरूरी है,” उन्होंने कहा।
कटनी जैसे औद्योगिक शहर में विकास कार्यों की गुणवत्ता और समयबद्धता प्रभावित हो रही है। यदि ये आरोप सिद्ध हुए, तो यह न केवल निगम बल्कि राज्य स्तर पर बड़ा मुद्दा बन सकता है।
स्थानीय निवासियों की अपील है कि पारदर्शिता सुनिश्चित हो, ताकि टैक्स का सही उपयोग हो सके।
katnicity.com से शैलेष कुमार की रिपोर्ट
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