कटनी, 24 सितंबर 2025 (विशेष संवाददाता): मंदिरों व घरों में नदियों में विसर्जित होने वाले कचरे से पर्यावरण को बचाने के लिए कटनी नगर निगम द्वारा शुरू की गई अनूठी योजना अब ठप्प पड़ी नजर आ रही है।
नवरात्रि और दुर्गा पूजा के दौरान इन वाहनों की विशेष जरूर नजर आ रही है। पूजा सामग्री संग्रहण के लिए विशेष रूप से लाए गए ‘पूजा स्पेशल स्वच्छता वाहन’ शहर से गायब हो चुके हैं।
इन वाहनों का उद्देश्य था कि फूल, मालाएं, नारियल, प्रसाद, अगरबत्ती, धूप पैकेट और पॉलीथीन जैसी पूजन सामग्री को घर-घर से इकट्ठा कर विधिवत विसर्जित किया जाए, ताकि नदियां प्रदूषित न हों। लेकिन अब ये वाहन कहीं नजर नहीं आ रहे, जिससे स्थानीय निवासियों में नाराजगी बढ़ रही है।
योजना की शुरुआत: पर्यावरण संरक्षण की उम्मीद
कुछ ही दिनों पहले कटनी नगर निगम ने पर्यावरण संरक्षण के तहत यह नई पहल शुरू की थी। पूजा के दौरान निकलने वाले कचरे को सीधे नदियों में फेंकने से होने वाले प्रदूषण को रोकने का प्रयास था यह।
नगर निगम आयुक्त के अनुसार, शहरी क्षेत्र में प्रतिवर्ष कई टन पूजन सामग्री नदियों में विसर्जित हो जाती है, जो जल प्रदूषण का प्रमुख कारण बनती है। आस्था से जुड़े होने के कारण प्रशासन सख्ती नहीं बरत पाता, इसलिए घर-घर पहुंचकर कचरा संग्रहित करने की यह योजना शुरू की गई।
वाहनों को हाल ही में कटनी लाया गया था। औपचारिक समारोह के बाद इन्हें शहर में उतारा गया, जहां इनमें विशेष सफाई व्यवस्था की गई थी। वाहन पूरी तरह बंद डिजाइन के थे, ताकि कचरा सड़कों पर न फैले। निगम ने घोषणा की थी कि ये वाहन नियमित रूप से घूमेंगे और पूजा कचरे को अलग से इकट्ठा कर सुरक्षित स्थान पर नष्ट करेंगे।
कटनी सहित मध्य प्रदेश के अन्य नगर निगमों में भी ऐसी योजना का पायलट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा था।
गायब वाहन और बढ़ती शिकायतें: क्या हो रही है अनदेखी?
लेकिन योजना की शुरुआत होते ही यह अचानक गायब हो गई। विगत कुछ दिनों से शहर के विभिन्न इलाकों में ये वाहन नजर नहीं आ रहे। पुरानी फूल मंडी क्षेत्र के निवासियों ने बताया कि कई दिनों से कोई कचरा गाड़ी ही नहीं पहुंची है।
पूर्व पार्षद राजेंद्र गेलानी ने से बातचीत में कहा, “निवासी पूजा कचरे को लेकर चिंतित हैं। योजना की घोषणा तो धूमधाम से हुई, लेकिन अमल में कमी नजर आ रही है। लोग शिकायतें दर्ज करा रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
“नागरिकों का कहना है कि बिना वाहनों के वे फिर से पुरानी आदत पर लौट आए हैं, जिससे नदियां फिर से कचरे का शिकार हो रही हैं। एक स्थानीय निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हमने तो सोचा था कि इस बार नदी को बचाएंगे, लेकिन निगम की लापरवाही से सब बेकार।”
पर्यावरणविदों का मानना है कि ऐसी योजनाओं को स्थायी बनाना जरूरी है, वरना हर साल नदियां प्रदूषण का शिकार होती रहेंगी।कटनी की जनता अब उम्मीद कर रही है कि नगर निगम इस पहल को पुनर्जीवित करे, ताकि आस्था और पर्यावरण दोनों सुरक्षित रहें।
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