Categories: Dharm Adhayatm

kharmas 2022, Surya pooja : खरमास में सूर्य पूजा बेहद फलदाई, सुख-समृद्धि के साथ मिलता है मान-सम्मान

खरमास में सूर्य पूजा बेहद फलदाई है। 16 दिसंबर को सूर्य नारायण धनु राशि में प्रवेश किया। धनु संक्रांति से मकर संक्रांति तक की अवधि को खरमास कहा जाता है। इस दौरान कोई भी मांगलिक कर्म नहीं किए जाते हैं,ये समय पूजा-पाठ,पवित्र नदियों में स्न्नान,दान एवं सूर्य पूजा के लिए बहुत ही उत्तम माना गया है। अतः खरमास के दिनों में सूर्य उपासना करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि,मान-सम्मान मिलता है एवं सभी रोगों से मुक्ति मिलती है।
इस तरह करें सूर्य पूजा
सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें,इसमें चावल, लाल फूल एवं गुड़ डालकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। जल अर्पित करने के बाद सूर्य मंत्र का जाप करें। सूर्य मंत्र – ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ भास्कराय नम:, ऊँ आदित्याय नमः, ऊँ दिनकराय नमः, ऊँ दिवाकराय नमः, ऊँ खखोल्काय स्वाहा इन मंत्रों का जाप करना चाहिए। उपासना में धूप, दीप जलाएं और सूर्य का पूजन करें। इसके अलावा शुभ फलों की प्राप्ति के लिए सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन आदि का दान करें। इनकी आराधना करने अथवा जल द्वारा अर्घ्य देने से सभी दोष नष्ट हो जाते हैं।

पाप नाशक और पुण्य वृद्धि कारक भगवान सूर्य को इस मंत्र- ‘सूर्यदेव महाभाग ! त्र्योक्य तिमिरापह। मम पूर्व कृतंपापं क्षम्यतां परमेश्वरः।को पढ़ते हुए अर्घ्य देने से आयु, विद्या बुद्धि और यश की प्राप्ति होती है।उत्तम स्वास्थ्य, शिक्षा, संतान और यश-कीर्ति की प्राप्ति, सामाजिक प्रतिष्ठा, प्रतियोगिता में सफलता, करियर में कामयाबी के लिए लोगों को प्रातः उदय होते लाल सूर्य की आराधना करनी चाहिए। जिनको बार-बार चोट लगती हो, शरीर में कैल्शियम की कमी हो, दुर्घटना के शिकार अधिक होते हों या फिर अपनी जान जाने का भय हो, यदि वे दोपहर ‘अभिजीत’ मुहूर्त में सूर्य की आराधना करें तो उन्हें बहुत लाभ होगा। संध्याकाल में सूर्य की आराधना करने से प्राणी को जीवनपर्यंत अन्न-जल एवं भौतिक वस्तुओं का पूर्णसुख मिलता है।
सुबह सूर्य नमस्कार के फायदे
शास्त्रों के अनुसार सूरज नारायण को सुबह नमस्कार करने से आयु,आरोग्य,धन धान्य,क्षेत्र,पुत्र,मित्र,तेज,वीर्य,यश,कांति,विद्या,वैभव और सौभाग्य आदि प्राप्त होता है एवं सूर्यलोक की प्राप्ति होती हैं।

वेदों में सूर्य को माना जगत की आत्मा

सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा कहा गया है।
 समस्त चराचर जगत की आत्मा सूर्य ही है।
सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है, यह आज एक सर्वमान्य सत्य है।
वैदिक काल में आर्य सूर्य को ही सारे जगत का कर्ता धर्ता मानते थे।
सूर्य का शब्दार्थ है सर्व प्रेरक.यह सर्व प्रकाशक, सर्व प्रवर्तक होने से सर्व कल्याणकारी है।
ऋग्वेद के देवताओं में सूर्यदेव का महत्वपूर्ण स्थान है।
यजुर्वेद ने “चक्षो सूर्यो जायत” कह कर सूर्य को भगवान का नेत्र माना है।
छान्दोग्यपनिषद में सूर्य को प्रणव निरूपित कर उनकी ध्यान साधना से पुत्र प्राप्ति का लाभ बताया गया है।
ब्रह्मवैर्वत पुराण तो सूर्य को परमात्मा स्वरूप मानता है। प्रसिद्ध गायत्री मंत्र सूर्य परक ही है।
सूर्योपनिषद में सूर्य को ही संपूर्ण जगत की उतपत्ति का एक मात्र कारण निरूपित किया गया है। और उन्ही को संपूर्ण जगत की आत्मा तथा ब्रह्म बताया गया है।
सूर्योपनिषद की श्रुति के अनुसार संपूर्ण जगत की सृष्टि तथा उसका पालन सूर्य ही करते है।
सूर्य ही संपूर्ण जगत की अंतरात्मा हैं।

सूर्य पूजा का महत्व
शास्त्रों के अनुसार सूरज नारायण को सुबह नमस्कार करने से आयु,आरोग्य,धन धान्य,क्षेत्र,पुत्र,मित्र,तेज,वीर्य,यश,कांति,विद्या,वैभव और सौभाग्य आदि प्राप्त होता है एवं सूर्यलोक की प्राप्ति होती हैं। अनेक शोधों से स्पष्ट हुआ है कि प्रातःकालीन उगते सूर्य को जल अर्घ्य देने से व सूर्य को जल की धार में से देखने पर नेत्रों की ज्योति बढ़ती है। भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में श्रीकृष्ण और सांब के संवाद बताए गए है। सांब श्रीकृष्ण के पुत्र थे। इस अध्याय में श्रीकृष्ण ने सांब को सूर्य देव की महिमा बताई है।श्रीकृष्ण ने सांब को बताया कि जो भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ सूर्य की पूजा करता है,उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है। स्वयं मैंने भी सूर्य की पूजा की और इसी के प्रभाव के दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई है।

सूर्य की स्थिति
श्रीमदभागवत पुराण में श्री शुकदेव जी के अनुसार:- भूलोक तथा द्युलोक के मध्य में अन्तरिक्ष लोक है। इस द्युलोक में सूर्य भगवान नक्षत्र तारों के मध्य में विराजमान रह कर तीनों लोकों को प्रकाशित करते हैं। उत्तरायण, दक्षिणायन तथा विषुक्त नामक तीन मार्गों से चलने के कारण कर्क, मकर तथा समान गतियों के छोटे, बड़े तथा समान दिन रात्रि बनाते हैं। जब भगवान सूर्य मेष तथा तुला राशि पर रहते हैं तब दिन रात्रि समान रहते हैं। जब वे वृष, मिथुन, कर्क, सिंह और कन्या राशियों में रहते हैं तब क्रमशः रात्रि एक-एक मास में एक-एक घड़ी बढ़ती जाती है और दिन घटते जाते हैं। जब सूर्य वृश्चिक, मकर, कुम्भ, मीन ओर मेष राशि में रहते हैं तब क्रमशः दिन प्रति मास एक-एक घड़ी बढ़ता जाता है तथा रात्रि कम होती जाती है।

admin

Recent Posts

Katni news 17 घंटे की मशक्कत से बचाए जा सके दो श्वान

कटनी मानवता की मिसाल सामने आई। यहां कुत्ते के बच्चे को बचाने के लिए समाज…

3 months ago

प्रयागराज कुंभ जाने वाले वाहनों ने लगाया हाइवे में जाम

Katni kumbh news : प्रयागराज कुंभ जाने वाले वाहनों ने लगाया हाइवे में जाम

3 months ago

वेस्ट सेंट्रल रेलवे जीएम ने किया ग्रेड सेपरेटर का निरीक्षण

वेस्ट सेंट्रल रेलवे जीएम ने किया ग्रेड सेपरेटर का निरीक्षण

3 months ago

कार की टक्कर से वन विभाग कर्मचारी की मौत

कार की टक्कर से वन विभाग कर्मचारी की मौत

3 months ago

Katni accident news : बिजली के पोल से टकराया युवक ,मौत

कटनी। माधव नगर थाना अंतर्गत छहरी गांव में एक युवक की बिजली के पोल से…

3 months ago

Katni crime news: कन्हवारा छैघरा में दामाद ने की ससुराल में चोरी, पुलिस ने आरोपी के कब्जे से मसरूका किया बरामद

कटनी। वाह रे दामाद, अपनी ससुराल को भी नहीं छोड़ा, अब इसकी ससुराल ही बदल…

4 months ago