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वेस्ट सेंट्रल रेलवे जीएम ने किया ग्रेड सेपरेटर का निरीक्षण

कटनी। वेस्ट सेंट्रल रेलवे की जीएम शोभना बंदोपाध्याय ने ग्रेड सेपरेटर का निरीक्षण किया। इस दौरान उनके साथ अधिकारी मौजूद रहे। उन्होंने मझगवां फाटक के पास इस परियोजना का निरीक्षण किया। जीएम शोभना बंदोपाध्याय रेल के विशेष वाहन परख से कटनी पहुंची और अधिकारियों के साथ सीधे मझगवां फाटक स्थित ग्रेड सेपरेटर परियोजना स्थल रवाना हो गई। जानकारी के अनुसार ग्रेड सेपरेटर योजना के अंतर्गत अप लाइन का कार्य लगभग 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है क्रॉस ओवर का कार्य के साथ झलवारा तरफ से मिलना शेष है। परियोजना के पूरा होने से बीना-कटनी रेलखंड पर ट्रेनों का संचालन बढ़ेगा और कटनी से बिलासपुर और सिंगरौली के लिए अतिरिक्त रेल लाइन का सीधा संपर्क जुड़ जाएगा। इससे माल यातायात में वृद्धि होगी और ट्रेनों के समय में बचत होगी। साथ ही पश्चिम मध्य रेल के राजस्व में वृद्धि होगी।इस बीच उन्होंने एनकेजे झलवारा तरफ जारी निर्माण कार्यों का अवलोकन भी किया। इस दौरान उनके साथ डीआरएम कमल कुमार तलरेजा सहित रेल विभाग व ठेका कंपनी अधिकारियों की टीम भी थी। ग्रेड सेपरेटर का निर्माण कार्य दिसंबर 2023 में पूरा होना था लेकिन लेटलतीफी के चलते ऐसा नहीं हो सका। अफसरों ने जून 2024 समय सीमा तय की लेकिन कार्य अधूरा ही रहा। इसके बाद अफसरों ने इस दो भागों में बांटकर समय सीमा निर्धारित की। अप ग्रेड सेपरेटर का काम सितंबर 2024 तक और डाउन ग्रेड सेपरेटर का काम मार्च 2025 में पूरा करने का लक्ष्य है लेकिन काम में हो रही देरी से अधिकारी परेशान हैं। महाप्रबंधक ने न्यू कटनी जंक्शन व कटनी मुड़वारा एरिया में बन रहे ग्रेड सेपरेटर प्रोजेक्ट का परख इंस्पेक्शन कार से निरीक्षण प्रारंभ किया। इसी दौरान मुख्य प्रशासनिक अधिकारी/निर्माण, प्रमुख मुख्य अभियंता, मंडल रेल प्रबंधक जबलपुर के साथ इरकॉन के अधिकारियों की उपस्थिति में पूरे एरिया का निरीक्षण किया गया। यहां उन्होंने ग्रेड सेपरेटर प्रोजेक्ट की समीक्षा कर निरीक्षण किया। इस ग्रेड सेपरेटर में चल रहे फेब्रिकेशन वर्क शॉप का भी निरीक्षण किया। साथ ही निर्माण प्रक्रिया व लेआउट एवं चल रहे कार्यों की प्रगति का समीक्षा कर अधिकारियों को निर्देशित किया। निरीक्षण के दौरान महाप्रबंधक ने अधिकारियों को ग्रेट सेपरेटर के तहत चल रहे कार्य को गुणवत्ता के साथ निर्धारित तिथि पर पूर्ण करने के निर्देश दिए। उल्लेखनीय है कि कटनी ग्रेड सेपरेटर परियोजना रेलवे की मेगा परियोजनाओं में से एक है। इस कटनी ग्रेड सेपरेटर की कुल लंबाई 33.40 किमी है। जिसमें डाउन ग्रेड सेपरेटर (17.52 किमी) एवं अप ग्रेड सेपरेटर (15.85 किमी) का निर्माण कार्य किया जा रहा है। इस ग्रेड सेपरेटर में कुल 689 पियर्स/अब्यूटमेंट्स, 08 रेल ओवर रेल (आरओआर), 06 मेजर ब्रिज निर्माण कार्य के साथ एलिवेटेड डेक पर पॉइंट्स और क्रोसिंग का कार्य भी किया जा रहा है। साथ ही कटनी ग्रेड सेपरेटर निर्माण कार्य को गति प्रदान करते हुए अप साइड में 1570 फाउंडेशन एवं 264 पियर्स और डॉउन साइड में 2592 फाउंडेशन एवं 425 पियर्स का निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना की कुल निर्माण कार्य लागत लगभग रुपये 1800 करोड़ है। यह भी देखा महाप्रबंधक शोभना बंदोपाध्याय ने जबलपुर-कटनी मुड़वारा रेल खंड का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान महाप्रबंधक ने इस रेलखंड पर स्थित स्टेशनों, रेल पुलों, ओएचई लाइन, सिग्नल प्रणाली व समपार फाटकों की विस्तृत जानकारी प्राप्त व समीक्षा कर निरीक्षण किया। इस रेल खंड पर रनिंग की गुणवत्ता को परखा व रेलखंडों में पेट्रोलिंग कहां-कहां चल रही है। इसकी विस्तृत जानकारी प्राप्त की। इस रेलखण्ड पर स्थित समपार फाटकों एवं ट्रैक पर कार्य करने वाले गैंगमैन/ट्रैकमैन की सुरक्षा एवं सरंक्षा के बारे में विशेष जानकारी प्राप्त कर अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। रेलखंड का बायपास होगाकटनी से बिलासपुर और सिंगरौली के लिए अतिरिक्त रेल लाइन का सीधे संपर्क जुड़ जाएगा और कटनी, नई कटनी, कटनी मुड़वारा जैसे अतिव्यस्त क्षेत्र से रेलखंड का बायपास होगा। माल यातायात में वृद्धि होने से फ्रंट ट्रेनों के समय मे बचत होगी। इसके साथ ही आवागमन में आसानी होगी। पमरे के रेल राजस्व में भी वृद्धि होगी। इस निरीक्षण में महाप्रबंधक शोभना बंदोपाध्याय के साथ मुख्य प्रशासनिक अधिकारी निर्माण, एम एस हाशमी, प्रमुख मुख्य इंजीनियर आशुतोष, प्रमुख मुख्य वाणिज्य प्रबंधक कुशाल सिंह, मंडल रेल प्रबंधक जबलपुर कमल कुमार तलरेजा सहित मुख्यालय, एरिया मैनेजर रोहित सिंह व मडल के अनेकों वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे। हो रही परेशानीग्रेड सेपरेटर कार्य के चलते एनकेजे में कई गाडिय़ां घंटो फसी रहती हैं और यात्री परेशान हलाकान होते रहते हैं। ग्रेड सेपरेटर बनने के बाद एनकेजे हंप गेट व यार्ड में होने वाली ट्रेनों की लेटलतीफी से राहत मिलने की आस है। वर्तमान में इस एरिया से ट्रेनों का आवागमन मुश्किल हो जाता है।

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